मकर संक्रांति पर निबंध। मकर संक्रांति पर 10 लाइन

मकर संक्रांति पर निबंध। makar Sankranti essay in hindi

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मकर संक्रांति को स्नान और दान का पर्व भी कहा जाता है। इस दिन तीर्थों एवं पवित्र नदियों में स्नान का बेहद महत्व है साथ ही तिल, गुड़, खिचड़ी, फल एवं राशि अनुसार दान करने पर पुण्य की प्राप्ति होती है। ऐसा भी माना जाता है कि इस दिन किए गए दान से सूर्य देवता प्रसन्न होते हैं। मकर संक्रांति पर निबंध
   

मकर संक्रांति पर निबंध। makar Sankranti essay in hindi
मकर संक्रांति पर निबंध। makar Sankranti essay in hindi 

दोस्तों हम इस पोस्ट में मकर संक्रांति पर्व पर निबंध लेखन के साथ ही कंप्लीट नॉलेज दिया गया है जिससे आपके काफी जानकारी मिलेगी। दोस्तों पोस्ट को कंप्लीट जरूर पढ़ें।

मकर संक्रांति का त्योहार, सूर्य के उत्तरायन होने पर मनाया जाता है। इस पर्व की विशेष बात यह है कि यह अन्य त्योहारों की तरह अलग-अलग तारीखों पर नहीं, बल्कि हर साल 14 जनवरी को ही मनाया जाता है, जब सूर्य उत्तरायन होकर मकर रेखा से गुजरता है। यह पर्व हिन्दू धर्म के प्रमुख त्योहारों में शामिल है। 
कभी-कभी यह एक दिन पहले या बाद में यानि 13 या 15 जनवरी को भी मनाया जाता है लेकिन ऐसा कम ही होता है। मकर संक्रांति का संबंध सीधा पृथ्वी के भूगोल और सूर्य की स्थिति से है। जब भी सूर्य मकर रेखा पर आता है, वह दिन 14 जनवरी ही होता है, अत: इस दिन मकर संक्रांति का तेहार मनाया जाता है। 
 
भारत के अलग-अलग क्षेत्रों में मकर संक्रांति के पर्व को अलग-अलग तरह से मनाया जाता है। आंध्रप्रदेश, केरल और कर्नाटक में इसे संक्रांति कहा जाता है और तमिलनाडु में इसे पोंगल पर्व के रूप में मनाया जाता है। पंजाब और हरियाणा में इस समय नई फसल का स्वागत किया जाता है और लोहड़ी पर्व मनाया जाता है, वहीं असम में बिहू के रूप में इस पर्व को उल्लास के साथ मनाया जाता है। हर प्रांत में इसका नाम और मनाने का तरीका अलग-अलग होता है।
अलग-अलग मान्यताओं के अनुसार इस पर्व के पकवान भी अलग-अलग होते हैं, लेकिन दाल और चावल की खिचड़ी इस पर्व की प्रमुख पहचान बन चुकी है। विशेष रूप से गुड़ और घी के साथ खिचड़ी खाने का महत्व है। इसके अलावा तिल और गुड़ का भी मकर संक्राति पर बेहद महत्व है। 

इस दिन सुबह जल्दी उठकर तिल का उबटन कर स्नान किया जाता है। इसके अलावा तिल और गुड़ के लड्डू एवं अन्य व्यंजन भी बनाए जाते हैं। इस समय सुहागन महिलाएं सुहाग की सामग्री का आदान प्रदान भी करती हैं। ऐसा माना जाता है कि इससे उनके पति की आयु लंबी होती है।

ज्योतिष की दृष्ट‍ि से देखें तो इस दिन सूर्य धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करता है और सूर्य के उत्तरायण की गति प्रारंभ होती है। सूर्य के उत्तरायण प्रवेश के साथ स्वागत-पर्व के रूप में मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। वर्षभर में बारह राशियों मेष, वृषभ, मकर, कुंभ, धनु इत्यादि में सूर्य के बारह संक्रमण होते हैं और जब सूर्य धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करता है, तब मकर संक्रांति होती है।

सूर्य के उत्तरायण होने के बाद से देवों की ब्रह्म मुहूर्त उपासना का पुण्यकाल प्रारंभ हो जाता है। इस काल को ही परा-अपरा विद्या की प्राप्ति का काल कहा जाता है। इसे साधना का सिद्धिकाल भी कहा गया है। इस काल में देव प्रतिष्ठा, गृह निर्माण, यज्ञ कर्म आदि पुनीत कर्म किए जाते हैं।

मकर संक्रांति को स्नान और दान का पर्व भी कहा जाता है। इस दिन तीर्थों एवं पवित्र नदियों में स्नान का बेहद महत्व है साथ ही तिल, गुड़, खिचड़ी, फल एवं राशि अनुसार दान करने पर पुण्य की प्राप्ति होती है। ऐसा भी माना जाता है कि इस दिन किए गए दान से सूर्य देवता प्रसन्न होते हैं।

महाभारत में भीष्म पितामह ने सूर्य के उत्तरायण होने पर ही माघ शुक्ल अष्टमी के दिन स्वेच्छा से शरीर का परित्याग किया था। उनका श्राद्ध संस्कार भी सूर्य की उत्तरायण गति में हुआ था। फलतः आज तक पितरों की प्रसन्नता के लिए तिल अर्घ्य एवं जल तर्पण की प्रथा मकर संक्रांति के अवसर पर प्रचलित है।
इन सभी मान्यताओं के अलावा मकर संक्रांति पर्व एक उत्साह और भी जुड़ा है। इस दिन पतंग उड़ाने का भी विशेष महत्व होता है। इस दिन कई स्थानों पर पतंगबाजी के बड़े-बड़े आयोजन भी किए जाते हैं। लोग बेहद आनंद और उल्लास के साथ पतंगबाजी करते हैं।


मकर संक्रांति मेरा पसंदीदा त्योहार क्यों है पर दीर्घ निबंध (Long Essay on Why Makar Sankranti is My Favourite Festival in Hindi, Makar Sankranti mera Pasandida Tyohar kyon hai par Nibandh Hindi mein)
Long Essay – 1300 Words


परिचय (introduction)

भारत को त्योहारों का देश कहा जाता है, और देश में विभिन्न धर्मों के लोगों द्वारा देश के अलग-अलग हिस्सों में कई त्योहार मनाये जाते हैं। हर त्योहार मनाये जाने के पीछे कोई धार्मिक तो कोई पौराणिक कारण या कोई मान्यता/कहानी अवश्य होती है, पर मकर संक्रांति इनमें से अलग त्योहार है।

मकर संक्रांति का त्योहार फसलों की अच्छी पैदावार के लिए भगवान को धन्यवाद और उनका आशीर्वाद हमेशा किसानों पर बना रहें, उसके लिए मनाया जाता है। खेती में उपयोग की जाने वाली हल, कुदाल, बैल इत्यादि की पूजा की जाती है और भगवान किसानों पर अपना आशीर्वाद हमेशा बनाये रखें इसके लिए सूर्य देव की पूजा की जाती है।


मकर संक्रांति (उत्तरायण) क्या है?

हिन्दुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक मकर संक्रांति का यह त्योहार जनवरी महीने में 14-15 तारीख को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। हिन्दू कैलेण्डर के अनुसार पौष महीने में जब सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण यानि की मकर रेखा में प्रवेश करता है तो मकर संक्रांति का यह त्योहार मनाया जाता है। देश के विभिन्न हिस्सों में इसे अन्य नामों के साथ मनाया जाता है, परन्तु सभी जगहों पर सूर्य की ही पूजा की जाती है। देश के अलग-अलग राज्यों में विभिन्न नामों वाले इस त्योहार में फसलों की अच्छी पैदावार के लिए भगवान सूर्य की पूजा कर उन्हें धन्यवाद दिया जाता है। मकर संक्रांति के पर्व में भगवान को तिल, गुड़, ज्वार, बाजरे से बने पकवान सूर्य को अर्पित किये जाते है, और फिर लोग इनका सेवन भी करते है।

विभिन्न मान्यताओं के अनुसार कई स्थानों पर पवित्र नदियों में स्नान करके अपने पाप धोने और भगवान सूर्य की पूजा कर दान देने की प्रथा है।


मकर संक्रांति मनाने के तरीके

मकर संक्रांति के दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण में प्रवेश करता है जो मकर रेखा में प्रवेश के रुप में भी जाना जाता है। मकर रेखा में सूर्य के प्रवेश का वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दृस्टि से बहुत महत्व होता है। सूर्य दक्षिणी गोलार्ध से उत्तरी गोलार्ध की ओर बढ़ने लगता है, इसे ही हम ‘उत्तरायन’ कहते है। आध्यात्मिक दृस्टि से देखा जाये तो ऐसा होना बहुत ही शुभ मन जाता है। इस शुभ दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान करके अपने पापों को धोते है और सूर्य देव की पूजा करते है और उनका आशीर्वाद लेते है। इस दिन लोग दान भी करते है, ऐसा माना गया है, कि दान करने से सूर्य देव खुश होते है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

दक्षिणी गोलार्ध से उत्तरी गोलार्ध में सूर्य के प्रवेश करना बहुत ही शुभ माना जाता है। स्वास्थ्य के नजरिये से देखा जाये तो यह बहुत शुभ माना गया है। इसके साथ ही दिनों के समय में परिवर्तन होना शुरू हो जाता है। मकर संक्रांति का त्योहार हर्ष और उल्लास भी अपने साथ लेकर आता है। कई जगहों पर इस दिन पतंग उड़ाने की भी प्रथा है और पतंगबाजी का आयोजन भी किया जाता है। बड़े और बच्चें बड़े ही आनंद और जोश के साथ मनाते हैं।


मकर संक्रांति का पर्व मुझे क्यों अच्छा लगता है?

यह एक ऐसा दिन होता है जिस दिन आकाश में रंगबिरंगी पतंगों से भरा होता है। बच्चों में पतंग उड़ाने का बहुत उत्साह होता है, जो बच्चों में 10-15 दिन पहले ही देखी जा सकती हैं। सभी बच्चे इस दिन के लिए तैयारी पहले से ही कर पतंगे, मांझे इत्यादि खरीदकर घरों में रख देते है। इस दिन बहुत लोग स्नान के लिए कुछ धार्मिक स्थलों जैसे वाराणसी, प्रयागराज, हरिद्वार आदि गंगा के पवित्र घाटों पर स्नान करते है।

इस दिन मेरे घर के सभी सदस्य जल्दी उठकर गंगा नदी में स्नान करने के लिए जाते है। स्नान के बाद नए कपड़े पहनते है। स्नान करने के बाद मैं सूर्य देव को जल चढ़ता हूँ, उनकी पूजा और उन्हें गुड़, चावल और तिल से बनी चीजों का भोग लगाता हूँ और अच्छी फसल पैदा करने के लिए सूर्य देव का धन्यवाद और उनकी पूजा करता हूँ। फिर उसके बाद मैं गुड़ और तिल से बनी चीजों को खता हूँ और पैदा हुयी नई चावल से बनी चीजों का भी सेवन करता हूँ।

दोपहर तक नई फसल के चावल से खिचड़ी बनाई जाती है जिसमें तरह-तरह की सब्जियां मिलाकर तैयार की जाती है। हम सब मिलकर खिचड़ी को देशी घी या दही के साथ मिलाकर खाते है। मुझे पतंग उड़ाना बहुत ही पसंद है तो मैं अपनी पतंगों के साथ छत पर चला जाता हूँ और देर शाम तक पतंगबाजी करता हूँ।


महाकुंभ मेले का आयोजन

मकर संक्रांति के इस पवित्र दिन नदियों में स्नान करने की मान्यता है। इसलिए लोग स्नान के लिए गंगा के घाटों पर जाते है। इसे एक मेले के रूप में भी आयोजित किया जाता है जिसे अर्ध कुम्भ और महाकुंभ मेले का नाम दिया जाता है। वाराणसी में हर वर्ष अर्ध कुम्भ का मेला लगता है और प्रयाग के संगम पर महाकुंभ का आयोजन किया जाता है। यह महाकुंभ क्रमशः प्रयाग, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक के घाटों पर महाकुंभ पर्व के रूप में मनाया जाता है।

ऐसी मान्यता है की इस महाकुंभ में स्नान से आपके वर्षों के पाप धूल जायेंगे और आपको मोक्ष की प्राप्ति होगी। यह मेला मकर संक्रांति के दिन ही शुरू होता है और एक माह तक रहता है।


दान करने की प्रथा

विभिन्न प्रथाओं और संस्कृतियों के अनुसार देश के लगभग हर हिस्से में यह पर्व अलग-अलग नाम से मनाया जाता है। कई जगहों पर दान देने की प्रथा भी है। देश के अलग-अलग हिस्सों में दान अलग प्रकार से दिया जाता है। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड व उत्तरांचल प्रांतो में गरीबों को अन्न में दाल-चावल और पैसों का दान दिया जाता है। बाहर से आये संतो को भी लोग दान में अन्न और पैसे देते है। अन्य राज्यों में इस दिन गरीबों को खाना खिलाते हैं। अन्नदान महादान माना गया है, इसलिए उपज में पैदा हुई फसलों का दान गरीबों और संतो में करके चारों तरफ खुशियां बाटना इस पर्व का उद्देश्य है।


पतंगबाजी का आयोजन

बहुत सी जगहों पर इस दिन पतंगबाजी की प्रतियोगिता का भी आयोजन किया जाता है। इस दिन मेरे यहां भी पतंगबाजी की एक प्रतियोगिता की जाती है जिसमें मैं भी हिस्सा लेता हूँ। अलग-अलग आयु वर्गों के लिए यह प्रतियोगिता कई भागों में बटी होती है, जिसमें मेरे माता-पिता और भैया-भाभी भी इस प्रतियोगिता में हिस्सा लेते है, और इस त्योहार का भरपूर आनंद लेते है। बच्चों के साथ ही इस प्रतियोगिता की शुरुआत होती है जिसे गाने और संगीत के साथ आयोजन शुरू किया जाता है। मैंने इस प्रतियोगिता में अभी तक कभी जीत नहीं पाया हूँ, पर मुझे भरोसा है की एक दिन मैं अवश्य जीतूंगा। मैं पतंग बाजी में काफी अच्छा हूँ इसलिए मुझे खुद पर विश्वास है।

इस अवसर पर पूरे दिन पतंगों से आसमान भरा रहता है। रंगबिरंगी पतंगों साथ आसमान भी रंगीन लगने लगता है। प्रतियोगिता में जलपान और खाने की व्यवस्था भी की जाती है। प्रतियोगिता समाप्त होने के बाद सभी प्रतिभागियों को जलपान और भोजन कराया जाता है, जिसमें गुड़, तिल, इत्यादि से बनी चीजें और मिठाइयां होती है। जलपान और खाने के बाद विजेताओं को सम्मानित किया जाता है। इस आयोजन में सभी प्रतिभागी और हमारे कॉलोनी के सभी लोगों का बराबर का योगदान होता है। प्रतियोगिता के आयोजन को यादगार बनाने के लिए एक साथ सबकी फोटो खिची जाती है और बाद में सबको भेंट के रूप में दी जाती है।


निष्कर्ष

मकर संक्रांति का एक अपना आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व है। देश भर में लोग पूरे उत्साह और जोश के साथ इस त्योहार को मनाते है। यह हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है जिसका उद्देश्य आपसी भाईचारा, एकता, और खुशियों को बटना हैं। इस दिन अन्य धर्मों के लोग भी पतंगबाजी में अपना हाथ आजमाते है और आनंद लेते है। गरीबों, जरूरतमंदों और संतो को दान के रूप में अन्न और पैसे देकर उनके साथ अपनी खुशियां बाटते है, ताकी चारों और बस खुशियाँ ही रहें।

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10 Lines On Makar Sankranti In Hindi (मकर संक्रांति पर 10 लाइन हिंदी में): 

मकर संक्रांति हिंदुओं का एक महत्वपूर्ण और पवित्र त्योहार है। यह प्रत्येक साल एक निश्चित तारीख 14 जनवरी को मनाया जाता है। इस दिन लोग गंगा स्नान तथा दान-दक्षिणा कर पुण्य प्राप्त करते हैं। हिंदू धर्म के अनुसार यह मोक्ष प्राप्ति का त्योहार है।

मकर संक्रांति पर 10 लाइन Makar Sankranti par 10 Vakya – Set 1
  1. मकर संक्रांति भारत देश की प्रमुख त्योहार है।
  2. यह त्योहार प्रतिवर्ष 14 या 15 जनवरी के दिन को मनाया जाता है।
  3. इस दिन सूर्य धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करता है।
  4. यह त्योहार भारत के अलग-अलग राज्यों मे अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है।
  5. मकर संक्रांति के अवसर पर गुड़ और घी के साथ खिचड़ी खाने का विशेष महत्व है।
  6. इस दिन बच्चे रंग बिरंगी पतंग उड़ने के मजे लेते हैं।
  7. इसे स्नान और दान का पर्व भी कहा जाता है।
  8. ऐसा भी माना जाता है कि इस दिन किए गए दान से सूर्य देवता भी प्रसन्न होते हैं।
  9. इस दिन पतंग उड़ाने का विशेष महत्व होता है।
  10. मकर संक्रांति त्योहार सुख समृद्धि और संपन्नता का प्रतीक है।

मकर संक्रांति पर 10 लाइन हिंदी में | 10 Lines On Makar Sankranti In Hindi

मकर संक्रांति पर 10 लाइन Makar Sankranti par 10 Vakya – Set 2
  1. मकर संक्रांति हिंदुओं का पवित्र तथा मोक्ष प्रदान करने वाला त्योहार है।
  2. यह त्योहार प्रत्येक वर्ष 14 जनवरी को मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार मकर संक्रांति पौस माह में पड़ता है।
  3. इस दिन सूर्य देव धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं। इसी उपलक्ष में मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जाता है।
  4. इस त्योहार पर लोग प्रातः स्नान तथा भगवान का पूजन कर दही, चिवड़ा, गुड़, तिलकुट खाते हैं।
  5. उत्तर प्रदेश तथा बिहार में इस दिन विशेष रूप से खिचड़ी बनाया जाता है।
  6. मकर संक्रांति को उत्तरायण के नाम से भी जाना जाता है।
  7. इस त्योहार पर लोग दान धर्म करते हैं। यह मोक्ष तथा दान धर्म का त्योहार भी कहलाता है।
  8. मकर संक्रांति के दिन लोग गंगासागर में स्नान कर पुण्य प्राप्त करते हैं।
  9. इस दिन बच्चे तथा बड़े पतंग उड़ा कर मकर संक्रांति का आनंद उठाते हैं।
  10. यह त्योहार आपस में मेल-जोल, प्यार तथा खुशियाँ बांटता है।

मकर संक्रांति 2023 पर 10 लाइन (Ten Lines on Makar Sankranti Festival 2023 in Hindi)
मकर संक्रांति पर 10 लाइन Makar Sankranti par 10 Vakya – Set 3
  1. हिन्दू पंचांग में मकर संक्रांति पौष मास में पड़ता है।
  2. मकर संक्रांति का त्यौहार भारत के साथ-साथ पड़ोसी देश नेपाल में भी मनाया जाता है।
  3. तमिलनाडु में यह त्योहार पोंगल के नाम से जाना जाता है।
  4. उत्तर प्रदेश तथा पश्चिमी बिहार में इस त्यौहार को खिचड़ी के नाम से जानते है।
  5. इस दिन लोग तिल, गुड़, चिवड़ा तथा चावल का दान देते है।
  6. बच्चे इस दिन ख़ूब पतंग उड़ाते है और देसी गुड़ दाने का लुत्फ़ उठाते है।
  7. मकर संक्रान्ति पर हिन्दूओ द्वारा गंगास्नान एवं दान देने की मुख्य परंपरा है।
  8. प्रयागराज में गंगा, यमुना, सरस्वती के संगम तट पर विश्व के सबसे बड़े स्नान मेले का आयोजन इसी दिन से प्रारम्भ होता है।
  9. ऐसा माना जाता है कि आज ही के दिन माँ गंगा सागर में जाकर मिली थी।
  10. इसलिए आज के दिन गंगासागर स्नान को सबसे पवित्र स्नान माना जाता है।
मकर संक्रांति पर 10 लाइन हिंदी में (10 Lines On Makar Sankranti In Hindi ):-

मकर संक्रांति पर 10 लाइन Makar Sankranti par 10 Vakya – Set 4
  1. मकर संक्रांति हर साल 14 जनवरी को मनाई जाती है।
  2. यह त्योहार हमारे देश में अलग अलग नाम से मनाया जाता है।
  3. यह त्यौहार सर्दियों में आता है।
  4. मकर संक्रांति हमारे प्रमुख त्योहार में से एक है।
  5. मकर संक्रांति पर तिल के लड्डू और चकली बनाई जाती है।
  6. यह त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।
  7. इस त्यौहार पर बड़ी मात्रा पर तिल का दान करते हैं।
  8. मकर संक्रांति त्योहार के लिए स्कूल और सरकारी दफ्तर बंद रहते हैं।
  9. मकर संक्रांति पर कई जगह मेला लगा होता है।
  10. मकर संक्रांति मेरा पसंदीदा त्योहार है।
मकर संक्रांति पर 10 लाइन हिंदी में (10 Lines On Makar Sankranti In Hindi ):-

मकर संक्रांति पर 10 लाइन Makar Sankranti par 10 Vakya – Set 5

  1. हिन्दू धर्म शास्त्र के अनुसार मकर संक्रान्ति से शुभ कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश आदि की शुरुआत होती है।
  2. इस दिन महाराष्ट्र में सुहागिन महिलाएं अन्य महिलाओं को गुड़ और तिल दान स्वरूप भेंट करती है।
  3. तमिलनाडु में यह त्यौहार चार दिनों तक पोगंल पर्व के रूप में मनाया जाता है।
  4. इस दिन पश्चिम बंगाल में गंगासागर संगम पर विशाल मेले का आयोजन होता है जहाँ पर पुरे देश से लोग स्नान करने के लिए आते है।
  5. ऐसा माना जाता है कि इस दिन को दिया गया दान मनुष्य के मोक्ष प्राप्ति का आधार बनता है।
  6. हिन्दू धर्म शास्त्र की मान्यता अनुसार भगवान सूर्य मकर राशि के सूचक अपने पुत्र शनि देव से मिलने आज ही के दिन जाते है।
  7. राजस्थान की सुहागिन महिलाएं किसी सौभाग्य रुपी वस्तु का 14 की संख्या में ब्राह्मणों को दान देती है।
  8. जम्मू-कश्मीर राज्य में इस पर्व को उत्तरैन’ और ‘माघी संगरांद’ के नाम से जानते है।
  9. इस पर्व पर लगभग सभी लोगों के घर में दाल, चावल एवं सब्जियों को मिलाकर “खिचड़ी” नामक पकवान बनता है।
  10. वर्तमान समय में आज की युवा पिढी मोबाईल द्वारा एक दूसरे को ग्रीटिंग मैसेज भेजते है एवं शुभकामनाएं देते है।
लोगों ने यह भी पूछा People also asked questions
इसके साथ ही आप नीचे दिए गए प्रश्न से संबंधी जानकारी भी दी गई है। 
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FAQ 

1. मकर संक्रांति पर निबंध कैसे लिखें?

क्‍यों मनाते हैं मकर संक्रांति : यह माना जाता है कि भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि से मिलने स्‍वयं उनके घर जाते हैं और शनि मकर राशि के स्‍वामी है। इसलिए इस दिन को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है। पवित्र गंगा नदी का भी इसी दिन धरती पर अवतरण हुआ था, इसलिए भी मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता हैं।

2. मकर संक्रांति क्यों मनाई जाती है निबंध?

क्‍यों मनाते हैं मकर संक्रांति : यह माना जाता है कि भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि से मिलने स्‍वयं उनके घर जाते हैं और शनि मकर राशि के स्‍वामी है। इसलिए इस दिन को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है। पवित्र गंगा नदी का भी इसी दिन धरती पर अवतरण हुआ था, इसलिए भी मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता हैं।

3. मकर संक्रांति क्या है महत्व और मकर संक्रांति के बारे में जानकारी?

जब सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है, जिसे “संक्रांति” कहा जाता है। इसी प्रकार सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने को “मकर संक्रांति” के नाम से जाना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन देव भी धरती पर अवतरित होते हैं, आत्मा को मोक्ष प्राप्त होता है, अंधकार का नाश व प्रकाश का आगमन होता है।

4. मकर संक्रांति मनाने का क्या उद्देश्य है?

सुशांत राज के मुताबिक मकर राशि में सूर्य के प्रवेश के दौरान सूर्यदेव की पूजा फलदायी होती है। इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं इसलिए इसे मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है। यह दिन बड़ा पावन माना जाता है क्योंकि इस दिन से खरमास का अंत होता है, जिससे मांगलिक कार्यों की शुरुआत होती है।

5. सरल शब्दों में मकर संक्रांति क्या है?

मकर का अर्थ है मकर राशि और संक्रांति का अर्थ है संक्रमण, जिससे मकर संक्रांति अर्थात सूर्य का मकर राशि (राशि चक्र) में संक्रमण होता है । इसके अलावा, यह अवसर हिंदू धर्म के अनुसार एक बहुत ही पवित्र और शुभ अवसर है और वे इसे एक त्योहार के रूप में मनाते हैं।

6. मकर संक्रांति हमें क्या सिखाती है?

इसलिए यह एक ऐसा त्योहार है जो एक पिता और पुत्र के बीच के मजबूत बंधन को उजागर करता है । यह कहानी का धार्मिक हिस्सा है। मकर संक्रांति मुख्य रूप से रबी फसलों की कटाई, कटाई के त्योहार के रूप में मनाया जाता है। तो, यह एक ऐसा त्योहार है जिसका न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक महत्व भी है।

7. मकर संक्रांति का नाम कैसे पड़ा?

मान्यता है कि इस दिन भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि देव से मिलने जाते हैं. ज्योतिष में शनिदेव को मकर राशि का स्वामी माना गया है इसलिए ही इस दिन को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है.

8. मकर संक्रांति कैसे हुई?

मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है। एक राशि को छोड़कर दूसरे में प्रवेश करने की इस विस्थापन क्रिया को संक्रांति कहते हैं। चूंकि सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है इसलिए इस समय को ‘मकर संक्रांति’ कहा जाता है।

9. मकर संक्रांति की शुरुआत कब से हुई?

1902 से 14 जनवरी को मनाया जा रहा ये त्योहार

काशी हिंदू विश्व विद्यालय के ज्योतिषाचार्य पं गणेश मिश्रा के अनुसार 14 जनवरी को मकर संक्रांति पहली बार 1902 में मनाई गई थी।

10. मकर संक्रांति के दिन किसकी पूजा की जाती है?

मकर संक्रांति के अवसर पर भगवान विष्णु की पूजा का भी विधान है। शास्त्रों और पुराणों में कहा गया है कि माघ मास में नित्य तिल से भगवान विष्णु की पूजा करने वाला पाप मुक्त होकर मोक्ष को प्राप्त करता है। अगर पूरे महीने तिल से नारायण की पूजा नहीं कर पाते हैं तो मकर संक्रांति के दिन नारायण की तिल से पूजा करनी चाहिए।

11. मकर संक्रांति का निष्कर्ष क्या है?

निष्कर्ष मकर संक्रांति का त्योहार बुराई को खत्म करके अच्छाई की शुरुआत है। साल की शुरुआत मकर संक्रांति पर्व के साथ होती है जो आनंद और खुशी का त्योहार है।

12. मकर संक्रांति का नाम क्या है?

पंजाब और हरियाणा में मकर संक्रांति को माघी नाम से मनाया जाता है। वैसे पंजाब में इसे लोहड़ी के नाम से भी जाना जाता है जिसे पंजाब में मकर संक्रांति के एक दिन पहले ही मनाया जाता है। राजस्थान और गुजरात में मकर संक्रांति को उत्तरायण कहते हैं। यहां मकर संक्रांति में पतंग उत्सव होता है और दो दिन का पर्व मनाया जाता है।

13. मकर संक्रांति के दिन पतंग क्यों उड़ाई जाती है?

प्रेम का संदेश देती है पतंग

पतंग को आजादी, खुशी और शुभ संदेश का प्रतीक माना जाता है. कई जगह लोग इस पर्व पर तिरंगी पतंग भी उड़ाते हैं. माना जाता है कि पतंग उड़ाने से दिमाग संतुलित रहता है और दिल को खुशी का एहसास होता है. मकर संक्रांति पर बच्चों के लिए कई जगहों पर मेलों का आयोजन किया जाता है.

14. संक्रांति के दिन क्या किया जाता है?

इसके साथ मकर संक्रांति के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का विशेष महत्व है। ऐसा करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। पवित्र नदियों में स्नान करने से अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण किया जाता है। साथ ही इस दिन गंगा सागर में मेले का आयोजन किया जाता है।

15. संक्रांति काल का अर्थ क्या है?

सूर्य का एक राशि से दूसरी में प्रवेश करने का समय । विशेष—प्राय: सूर्य एक राशि में ३० दिन तक रहता हैं । और जब वह एक राशि से निकलकर दूसरी राशि में जाता है, तब उसे संक्रांति कहते हैं । वास्तव में संक्रांति काल वही होता है जब सूर्य दो राशियों की ठीक सीमा पर या बीच में होता हैं ।

16. संक्रांति काल का अर्थ क्या है?

सूर्य का एक राशि से दूसरी में प्रवेश करने का समय । विशेष—प्राय: सूर्य एक राशि में ३० दिन तक रहता हैं । और जब वह एक राशि से निकलकर दूसरी राशि में जाता है, तब उसे संक्रांति कहते हैं । वास्तव में संक्रांति काल वही होता है जब सूर्य दो राशियों की ठीक सीमा पर या बीच में होता हैं ।

17. खिचड़ी का पर्व क्यों मनाया जाता है?

नाथ योगियों को भा गया यह व्‍यंजन

बाबा गोरखनाथ का बताया गया हुआ यह व्‍यंजन नाथ योगियों को बेहद पसंद आया। इसे बनाने में काफी कम समय तो लगता ही था। साथ ही काफी स्‍वादिष्‍ट और त्‍वरित ऊर्जा देने वाला भी होता था। कहा जाता है कि बाबा ने ही इस व्‍यंजन को खिचड़ी का नाम दिया।

18. मकर संक्रांति पर क्या खास?

मकर संक्रांति पर तिल का विशेष महत्‍व माना गया है। गुरुवार को मकर संक्रांति पड़ने से तिल का महत्‍व और भी बढ़ गया है। काले तिल का दान करें और भगवान विष्णु को भी तिल अर्पित करें। स्‍वयं भी इस दिन तिल खाएं।

19. संक्रांति का अर्थ क्या है?

संक्रांति (संस्कृत: संक्रान्ति संक्रांति या संक्रमण) का अर्थ भारतीय खगोल विज्ञान में सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में स्थानांतरण है ।

20. मकर संक्रांति की शुरुआत किसने की?

मकर संक्रांति 2023: इतिहास

महाभारत और पुराण केवल दो हिंदू लेख हैं जो मकर संक्रांति का संदर्भ देते हैं। वैदिक ऋषि विश्वामित्र को उत्सव की शुरुआत करने का श्रेय दिया जाता है। महाभारत में यह दर्ज है कि पांडवों ने निर्वासन के दौरान मकर संक्रांति मनाई थी।

21. मकर संक्रांति का वैज्ञानिक कारण क्या है?

मकर संक्रांति का व्यवहारिक और वैज्ञानिक कारण

मकर संक्रांति का वैज्ञानिक कारण यह है कि इस दिन से सूर्य के उत्तरायण हो जाने से प्रकृति में बदलाव शुरू हो जाता है। ठंड की वजह से सिकुरते लोगों को सूर्य के उत्तरायण होने से शीत ऋतु से राहत मिलना आरंभ होता है।

22. मकर संक्रांति पर बच्चे क्या करते हैं?

अगर इतने में भी बच्चे 5 वर्ष या 10 वर्ष तक लंबे नहीं होते हैं, तो उनके कान में कनौसी पहना दिया जाता है. इसी दिन लड़कियों के कान छिदवाये जाते हैं. बच्चे पतंग उड़ाकर भी मकर संक्रांति मनाते हैं. मकर संक्रांति के अगले दिन सुबह लोग नदियों में जाकर स्नान कर भगवान सूर्य की पूजा-अर्चना करते हैं.

23. संक्रांति क्या नहीं करना चाहिए?

मकर संक्रांति के दिन लहसुन, प्याज और मांस का सेवन नहीं करना चाहिए. …

यह प्रकृति का त्योहार है और हरियाली का उत्सव. …

मकर संक्रांति के दिन अपनी वाणी पर संयम रखें और गुस्सा ना करें. …

मकर संक्रांति के दिन आप किसी भी तरह का नशा नहीं करें. …

इस दिन मसालेदार भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए.

24. मकर संक्रांति पर खिचड़ी का क्या महत्व है?

कई जगहों पर इसे खिचड़ी पर्व के नाम से भी जाना जाता है. इसके पीछे भी एक वजह है, दरअसल उड़द दाल को शनि का और हरी सब्जियों का संबंध बुध से माना जाता है. इसलिए इस दिन खिचड़ी खाने का महत्व है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन खिचड़ी खाने से राशि में ग्रहों की स्थिति मजबूत होती है.

25. मकर संक्रांति 15 जनवरी को ही क्यों?

सूर्य का प्रवेश 14 जनवरी को ही मकर राशि में हो रहा है लेकिन संक्रांति का त्योहार 15 जनवरी को मनाया जाएगा। दरअसल ज्योतिषीय गणना के अनुसार सूर्य का प्रवेश मकर राशि में शाम 7 बजकर 50 मिनट पर हो रहा है यानी सूर्यास्त के बाद सूर्य मकर राशि में आ रहे हैं।

26. 14 जनवरी को क्यों मनाई जाती है मकर संक्रांति?

मकर संक्रांति, सूरज से जुड़ा पर्व है,जो १४/१५ जनवरी को मनाया जाता है,हर साल । ज्योतिष के अनुसार इस दिन सूरज धनु राशि को छोड़ कर मकर राशि में प्रवेश करता है। सूर्य जब एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है,तो इस घटना को संक्रांति कहते हैं। जब सूरज मकर राशि में प्रवेश करता है ,तो दिन बड़े और रात छोटी होने लगती हैं।

27. मकर संक्रांति कौन सी राशि पर है?

मकर संक्रांति 2022 14 जनवरी को पूरे देश में मनाया जाएगा क्योंकि इसी दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेंगे। सूर्य इस राशि में आकर अपने पुत्र शनि महाराज से मिलेंगे। अभी बुध भी शनि महाराज के साथ मकर राशि में हैं इसलिए ग्रहों के राजा सूर्य का स्वागत शनि के साथ बुध भी मकर राशि में करेंगे।

28. मकर संक्रांति 15 जनवरी को कब आई थी?

लीप ईयर आने के कारण मकर संक्रांति 2017, 2018 व 2021 में वापस 14 जनवरी को व साल 2019 व 2020 में 15 जनवरी को मनाई जाएगी। यह क्रम 2030 तक चलेगा। इसके बाद 3 साल 15 जनवरी को व 1 साल 14 जनवरी को संक्रांति मनाई जाएगी।

29. मकर संक्रांति किसका प्रतीक है?

इसे माघ संक्रांति के रूप में भी जाना जाता है, यह त्योहार भारत में संक्रांति सर्दी के अंत और फसल के मौसम की शुरुआत का प्रतीक है. इस दिन से गर्म और लंबे दिन की शुरूआत होती है, जिससे ठंड और कठोर सर्दियों के मौसम का अंत हो जाता है. इस वर्ष मकर संक्रांति 14 जनवरी 2022 (शुक्रवार) को पड़ रही है.

30. मकर संक्रांति कितने होते हैं?

मकर संक्रांति को सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होते हैं। इस नदी पवित्र नदियों में स्नान करने और उसके बाद दान करने का महत्व होता है। साल में 12 संक्रांतियां पड़ती हैं, लेकिन इनमें से मकर संक्रांति का विशेष महत्व है। इस दिन सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के साथ उत्तरायण होना शुरू हो जाता है।

31. पतंग का क्या महत्व है?

व्यावहारिक उपयोग। मानव उड़ान, सैन्य अनुप्रयोगों, विज्ञान और मौसम विज्ञान, फोटोग्राफी, रेडियो एंटेना उठाने, बिजली पैदा करने, वायुगतिकीय प्रयोगों और बहुत कुछ के लिए पतंग का उपयोग किया गया है।

32. पतंग का क्या महत्व है?

सूर्य की प्रारंभिक किरणों के संपर्क में आना विशेष रूप से स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद माना जाता है क्योंकि यह विटामिन डी का अच्छा स्रोत है। इसके साथ ही लोगों का यह भी मानना ​​है कि पतंग उड़ाना देवताओं को धन्यवाद देने का एक तरीका है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि जिस दिन देवता जागते हैं छह महीने की अवधि के बाद मकर संक्रांति का।

33. भारत में पतंगबाजी किसका प्रतीक है?

तब से, ब्रिटिश सिद्धांत से स्वायत्तता की प्रशंसा करने के लिए स्वतंत्रता दिवस पर पतंगबाजी भारतीयों के लिए एक परंपरा बन गई है। 15 अगस्त को राष्ट्रीय ध्वज फहराने के अलावा, भारतीय स्वतंत्रता, आनंद और देशभक्ति की अभिव्यक्ति के रूप में पतंग उड़ाने में व्यस्त हो जाते हैं। “आकाश इंद्रधनुष में बदल जाता था।

34. भारत में पतंगबाजी कब शुरू हुई?

18वीं शताब्दी में शाह आलम प्रथम के शासनकाल के दौरान दिल्ली के अमीरों के बीच मनोरंजक गतिविधि के रूप में पतंगबाजी लोकप्रिय हो गई थी।

35. मकर संक्रांति क्या खाते हैं?

मकर संक्रांति पर खिचड़ी खाने और दान करने का विशेष महत्व माना जाता है. ज्योतिष के अनुसार खिचड़ी का संबंध अलग-अलग ग्रहों से है. खिचड़ी में पड़ने वाले चावल, काली दाल, हल्दी और सब्जियों के अलावा इसे पकाने तक की प्रक्रिया किसी न किसी विशेष ग्रह को प्रभावित करती है.

36. मकर संक्रांति पर क्या हम नॉन वेज खा सकते हैं?

लहसुन, प्याज और मांस का सेवन नहीं करना चाहिए । दिन भर किसी को अपशब्द न कहें और न ही क्रोधित शब्द। सबके साथ मधुर व्यवहार करें।

37. संक्रांति पर क्या पूजा करनी चाहिए?

भगवान विष्णु की पूजा करें, भगवान को तिल, गुड़, नमक, हल्दी, फूल, पीले फूल, हल्दी, चावल भेट करें। घी का दीप जलाएं और पूजन करें। इसके बाद सूर्यदेव को जल में गुड़ तिल मिलाकर अर्घ्य दें। पीपल को जल दें, जल में काले तिल, गुड़ जरूर डालें।

38. मकर संक्रांति पर क्या पुण्य करना चाहिए?

तिल का दान मकर संक्रांति के दिन तिल का विशेष महत्व है। इसी कारण इस दिन को तिल संक्रांति के नाम से भी जानते हैं। इस दिन तिल का दान करने के साथ सेवन करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। तिल का दान करने को लेकर एक पौराणिक कथा है।

39. मकर संक्रांति के दिन कब नहाना चाहिए?

मकर संक्रांति पर स्नान का समय वैसे शास्त्रों में बताया गया है कि सूर्य के मकर राशि या किसी भी अन्य राशि में प्रवेश से 6 घंटे पूर्व और 6 घंटे बाद तक संक्रांति का पुण्य काल रहता है।

40. मकर संक्रांति मनाने के पीछे क्या कहानी है?

मकर संक्रांति के दिन ही गंगाजी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होती हुई सागर में जाकर मिली थीं। महाराज भगीरथ ने अपने पूर्वजों के लिए इस दिन तर्पण किया था इसलिए मकर संक्रांति पर गंगासागर में मेला लगता है। राजा भगीरथ ने अपने पूर्वजों का गंगाजल, अक्षत, तिल से श्राद्ध तर्पण किया था।

41. मकर संक्रांति पर पृथ्वी का क्या होता है?

ग्रह पृथ्वी सूर्य के चारों ओर अपनी कक्षा पूरी करने के लिए 13 ½ चंद्र परिक्रमण या एक सौर वर्ष लेता है। इस कक्षा में यह खुद को 27 नक्षत्रों या 108 पादों में व्यवस्थित करता है, लगभग माला के मोतियों की तरह। मकर संक्रांति एक नए चक्र की समाप्ति और शुरुआत का प्रतीक है ।

42. मकर राशि के मालिक कौन है?

मकर राशि बारह राशियों के समूह में १०वीं है। इसका स्वामी शनि है।

43. मकर राशि का मालिक कौन है?

सका स्वामी शनि है। मकर राशि के व्यक्ति अति महत्वाकांक्षी होते हैं।

44. मकर संक्रांति पहली बार कब मनाई गई थी?

काशी हिंदू विश्व विद्यालय के ज्योतिषाचार्य पं गणेश मिश्रा के अनुसार 14 जनवरी को मकर संक्रांति पहली बार 1902 में मनाई गई थी। इससे पहले 18 वीं सदी में 12 और 13 जनवरी को मनाई जाती थी। वहीं 1964 में मकर संक्रांति पहली बार 15 जनवरी को मनाई गई थी।

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