स्वामी विवेकानंद पर निबंध (Swami Vivekananda Essay in Hindi)
स्वामी विवेकानंद एक महान हिन्दू संत और नेता थे, जिन्होंने रामकृष्ण मिशन और रामकृष्ण मठ की स्थापना की थी। हम उनके जन्मदिन पर प्रत्येक वर्ष 12 जनवरी को राष्ट्रीय युवा दिवस मनाते हैं। वह आध्यात्मिक विचारों वाले अद्भूत बच्चे थे। इनकी शिक्षा अनियमित थी, लेकिन इन्होंने स्कॉटिश चर्च कॉलेज से बीए की डिग्री पूरी की। श्री रामकृष्ण से मिलने के बाद इनका धार्मिक और संत का जीवन शुरु हुआ और उन्हें अपना गुरु बना लिया। इसके बाद इन्होंने वेदांत आन्दोलन का नेतृत्व किया और भारतीय हिन्दू धर्म के दर्शन से पश्चिमी देशों को परिचित कराया।
स्वामी विवेकानन्द का जन्म 12 जनवरी सन् 1863 (विद्वानों के अनुसार मकर संक्रान्ति संवत् 1920) को कलकत्ता में एक कुलीन कायस्थ परिवार में हुआ था। उनके बचपन का घर का नाम वीरेश्वर रखा गया, किन्तु उनका औपचारिक नाम नरेन्द्रनाथ दत्त था। पिता विश्वनाथ दत्त कलकत्ता हाईकोर्ट के एक प्रसिद्ध वकील थे।
स्वामी विवेकानंद पर निबंध (Long and Short Essay on Swami Vivekananda in Hindi, Swami Vivekananda par Nibandh Hindi mein)
निबंध 1 (300 शब्द)
प्रस्तावना
स्वामी विवेकानंद भारत में पैदा हुए महापुरुषों में से एक है। अपने महान कार्यों द्वारा उन्होंने पाश्चात्य जगत में सनातन धर्म, वेदों तथा ज्ञान शास्त्र को काफी ख्याति दिलायी और विश्व भर में लोगो को अमन तथा भाईचारे का संदेश दिया।
स्वामी विवेकानंद का प्रारंभिक जीवन
विश्वभर में ख्याति प्राप्त संत, स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को कलकत्ता में हुआ था। वह बचपन में नरेन्द्र नाथ दत्त के नाम से जाने जाते थे। इनकी जयंती को भारत में प्रत्येक वर्ष राष्ट्रीय युवा दिवस के रुप में मनाया जाता है। वह विश्वनाथ दत्त, कलकत्ता उच्च न्यायालय के वकील, और भुवनेश्वरी देवी के आठ बच्चों में से एक थे। वह होशियार विद्यार्थी थे, हालांकि, उनकी शिक्षा बहुत अनियमित थी। वह बहुत धार्मिक और आध्यात्मिक व्यक्ति थे और अपने संस्कृत के ज्ञान के लिए लोकप्रिय थे।
विश्वभर में ख्याति प्राप्त संत, स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को कलकत्ता में हुआ था। वह बचपन में नरेन्द्र नाथ दत्त के नाम से जाने जाते थे। इनकी जयंती को भारत में प्रत्येक वर्ष राष्ट्रीय युवा दिवस के रुप में मनाया जाता है। वह विश्वनाथ दत्त, कलकत्ता उच्च न्यायालय के वकील, और भुवनेश्वरी देवी के आठ बच्चों में से एक थे। वह होशियार विद्यार्थी थे, हालांकि, उनकी शिक्षा बहुत अनियमित थी। वह बहुत धार्मिक और आध्यात्मिक व्यक्ति थे और अपने संस्कृत के ज्ञान के लिए लोकप्रिय थे।
स्वामी विवेकानंद के गुरु कौन थे
स्वामी विवेकानंद सच बोलने वाले, अच्छे विद्वान होने के साथ ही एक अच्छे खिलाड़ी भी थे। वह बचपन से ही धार्मिक प्रकृति वाले थे और परमेश्वर की प्राप्ति के लिए काफी परेशान थे। एक दिन वह श्री रामकृष्ण (दक्षिणेश्वर काली मंदिर के पुजारी) से मिले, तब उनके अंदर श्री रामकृष्ण के आध्यात्मिक प्रभाव के कारण बदलाव आया। श्री रामकृष्ण को अपना आध्यात्मिक गुरु मानने के बाद वह स्वामी विवेकानंद कहे जाने लगे।
वास्तव में स्वामी विवेकानंद एक सच्चे गुरुभक्त भी थे क्योंकि तमाम प्रसिद्धि पाने के बाद भी उन्होंने सदैव अपने गुरु को याद रखा और रामकृष्ण मिशन की स्थापना करते हुए, अपने गुरु का नाम रोशन किया।
स्वामी विवेकानंद का शिकागो भाषण
जब भी स्वामी विवेकानंद के विषय में बात होती है, तो उनके शिकागों भाषण के विषय में चर्चा जरुर की जाती है क्योंकि यही वह क्षण था। जब स्वामी विवेकानंद ने अपने ज्ञान तथा शब्दों द्वारा पूरे विश्व भर में हिंदु धर्म के विषय में लोगो का नजरिया बदलते हुए, लोगो को अध्यात्म तथा वेदांत से परिचित कराया। अपने इस भाषण में उन्होंने विश्व भर को भारत के अतिथि देवो भवः, सहिष्णुता और सार्वभौमिक स्वीकार्यता के विषय से परिचित कराया।
उन्होंने बताया की जिस तरह भिन्न-भिन्न नदियां अंत में समुद्र में ही मिलती हैं, उसी प्रकार विश्व के सभी धर्म अंत में ईश्वर तक ही पहुंचाते हैं और समाज में फैली कट्टरता तथा सांप्रदायिकता को रोकने के लिए, हम सबको आगे आना होगा क्योंकि बिना सौहार्द तथा भाईचारे के विश्व तथा मानवता का पूर्ण विकास संभव नही है।
निष्कर्ष
स्वामी विवेकानंद जैसे महापुरुष सदियों में एक बार ही जन्म लेते हैं, जो अपने जीवन के बाद भी लोगो को निरंतर प्रेरित करने का कार्य करते हैं। यदि हम उनके बताये गये बातों पर अमल करें, तो हम समाज से हर तरह की कट्टरता और बुराई को दूर करने में सफल हो सकते हैं।
प्रस्तावना
स्वामी विवेकानंद उन महान व्यक्तियों में से एक है, जिन्होंने विश्व भर में भारत का नाम रोशन करने का कार्य किया। अपने शिकागों भाषण द्वारा उन्होंने पूरे विश्व भर में हिंदुत्व के विषय में लोगो को जानकारी प्रदान की, इसके साथ ही उनका जीवन भी हम सबके लिए एक सीख है।
स्वामी विवेकानंद का जीवन परिचय
स्वामी विवेकानंद का जन्म कलकत्ता में शिमला पल्लै में 12 जनवरी 1863 को हुआ था। उनके पिता का नाम विश्वनाथ दत्त था जोकि कलकत्ता उच्च न्यायालय में वकालत का कार्य करत थे और माता का नाम भुवनेश्वरी देवी था। स्वामी विवेकानंद श्री रामकृष्ण परमहंस के मुख्य अनुयायियों में से एक थे। इनका जन्म से नाम नरेन्द्र दत्त था, जो बाद में रामकृष्ण मिशन के संस्थापक बने।
वह भारतीय मूल के व्यक्ति थे, जिन्होंने वेदांत के हिन्दू दर्शन और योग को यूरोप व अमेरिका में परिचित कराया। उन्होंने आधुनिक भारत में हिन्दू धर्म को पुनर्जीवित किया। उनके प्रेरणादायक भाषणों का अभी भी देश के युवाओं द्वारा अनुसरण किया जाता है। उन्होंने 1893 में शिकागो की विश्व धर्म महासभा में हिन्दू धर्म को परिचित कराया था।
स्वामी विवेकानंद अपने पिता के तर्कपूर्ण मस्तिष्क और माता के धार्मिक स्वभाव से प्रभावित थे। उन्होंने अपनी माता से आत्मनियंत्रण सीखा और बाद में ध्यान में विशेषज्ञ बन गए। उनका आत्म नियंत्रण वास्तव में आश्चर्यजनक था, जिसका प्रयोग करके वह आसानी से समाधी की स्थिति में प्रवेश कर सकते थे। उन्होंने युवा अवस्था में ही उल्लेखनीय नेतृत्व की गुणवत्ता का विकास किया।
वह युवा अवस्था में ब्रह्मसमाज से परिचित होने के बाद श्री रामकृष्ण के सम्पर्क में आए। वह अपने साधु-भाईयों के साथ बोरानगर मठ में रहने लगे। अपने बाद के जीवन में, उन्होंने भारत भ्रमण का निर्णय लिया और जगह-जगह घूमना शुरु कर दिया और त्रिरुवंतपुरम् पहुँच गए, जहाँ उन्होंने शिकागो धर्म सम्मेलन में भाग लेने का निर्णय किया।
कई स्थानों पर अपने प्रभावी भाषणों और व्याख्यानों को देने के बाद वह पूरे विश्व में लोकप्रिय हो गए। उनकी मृत्यु 4 जुलाई 1902 को हुई थी ऐसा माना जाता है कि, वह ध्यान करने के लिए अपने कक्ष में गए और किसी को भी व्यवधान न उत्पन्न करने के लिए कहा और ध्यान के दौरान ही उनकी मृत्यु हो गई।
निष्कर्ष
स्वामी विवेकानंद ने अपने भाषणों द्वारा पूरे विश्व भर में भारत तथा हिंदु धर्म का नाम रोशन किया। वह एक ऐसे व्यक्ति थे, जिनके जीवन से हम सदैव कुछ ना कुछ सीख ही सकते हैं। यहीं कारण है कि आज भी युवाओं में इतने लोकप्रिय बने हुए हैं।
निबंध 3 (500 शब्द)
प्रस्तावना
एक समान्य परिवार में जन्म लेने वाले नरेंद्रनाथ ने अपने ज्ञान तथा तेज के बल पर विवेकानंद बने। अपने कार्यों द्वारा उन्होंने विश्व भर में भारत का नाम रोशन करने का कार्य किया। यहीं कारण है कि वह आज के समय में भी लोगो के प्रेरणास्त्रोत हैं।
भारत के महापुरुष – स्वामी विवेकानंद
स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को कलकत्ता में मकर संक्रांति के त्योहार के अवसर पर, परंपरागत कायस्थ बंगाली परिवार में हुआ था। स्वामी विवेकानंद का बचपन का नाम नरेन्द्रनाथ दत्त (नरेन्द्र या नरेन भी कहा जाता था) था। वह अपने माता-पिता (पिता विश्वनाथ दत्त कलकत्ता उच्च न्यायालय में वकील थे और माता भुवनेश्वरी देवी धार्मिक महिला थी) के 9 बच्चों में से एक थे। वह पिता के तर्कसंगत मन और माता के धार्मिक स्वभाव वाले वातावरण के अन्तर्गत सबसे प्रभावी व्यक्तित्व में विकसित हुए।
वह बाल्यकाल से ही आध्यात्मिक व्यक्ति थे और हिन्दू भगवान की मूर्तियों (भगवान शिव, हनुमान आदि) के सामने ध्यान किया करते थे। वह अपने समय के घूमने वाले सन्यासियों और भिक्षुओं से प्रभावित थे। वह बचपन में बहुत शरारती थे और अपने माता-पिता के नियंत्रण से बाहर थे। वह अपनी माता के द्वारा भूत कहे जाते थे, उनके एक कथन के अनुसार, “मैंने भगवान शिव से एक पुत्र के लिए प्रार्थना की थी और उन्होंने मुझे अपने भूतों में से एक भेज दिया।”
उन्हें 1871 (जब वह 8 साल के थे) में अध्ययन के लिए चंद्र विद्यासागर महानगर संस्था और 1879 में प्रेसीडेंसी कॉलेज में दाखिल कराया गया। वह सामाजिक विज्ञान, दर्शन, इतिहास, धर्म, कला और साहित्य जैसे विषयों में बहुत अच्छे थे। उन्होंने पश्चिमी तर्क, यूरोपीय इतिहास, पश्चिमी दर्शन, संस्कृत शास्त्रों और बंगाली साहित्य का अध्ययन किया।
स्वामी विवेकानंद के विचार
वह बहुत धार्मिक व्यक्ति थे हिन्दू शास्त्रों (वेद, रामायण, भगवत गीता, महाभारत, उपनिषद, पुराण आदि) में रुचि रखते थे। वह भारतीय शास्त्रीय संगीत, खेल, शारीरिक व्यायाम और अन्य क्रियाओं में भी रुचि रखते थे। उन्हें विलियम हैस्टै (महासभा संस्था के प्राचार्य) के द्वारा “नरेंद्र वास्तव में एक प्रतिभाशाली है” कहा गया था।
वह हिंदू धर्म के प्रति बहुत उत्साहित थे और हिन्दू धर्म के बारे में देश के अन्दर और बाहर दोनों जगह लोगों के बीच में नई सोच का निर्माण करने में सफल हुए। वह पश्चिम में ध्यान, योग, और आत्म-सुधार के अन्य भारतीय आध्यात्मिक रास्तों को बढ़ावा देने में सफल हो गए। वह भारत के लोगों के लिए राष्ट्रवादी आदर्श थे।
उन्होंने राष्ट्रवादी विचारों के माध्यम से कई भारतीय नेताओं का ध्यान आकर्षित किया। भारत की आध्यात्मिक जागृति के लिए श्री अरबिंद ने उनकी प्रशंसा की थी। महान हिंदू सुधारक के रुप में, जिन्होंने हिंदू धर्म को बढ़ावा दिया, महात्मा गाँधी ने भी उनकी प्रशंसा की। उनके विचारों ने लोगों को हिंदु धर्म का सही अर्थ समझाने का कार्य किया और वेदांतों और हिंदु अध्यात्म के प्रति पाश्चात्य जगत के नजरिये को भी बदला।
उनके इन्हीं कार्यों के लिए चक्रवर्ती राजगोपालाचारी (स्वतंत्र भारत के प्रथम गवर्नर जनरल) ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ही वह व्यक्ति थे, जिन्होंने हिन्दू धर्म तथा भारत को बचाया था। उन्हें सुभाष चन्द्र बोस के द्वारा “आधुनिक भारत के निर्माता” कहा गया था। उनके प्रभावी लेखन ने बहुत से भारतीय स्वतंत्रता कार्यकर्ताओं; जैसे- नेताजी सुभाष चंद्र बोस, बाल गंगाधर तिलक, अरविंद घोष, बाघा जतिन, आदि को प्रेरित किया। ऐसा कहा जाता है कि 4 जुलाई सन् 1902 में उन्होंने बेलूर मठ में तीन घंटे ध्यान साधना करते हुए अपनें प्राणों को त्याग दिया।
निष्कर्ष
अपने जीवन में तमाम विपत्तियों के बावजूद भी स्वामी विवेकानंद कभी सत्य के मार्ग से हटे नही और अपने जीवन भर लोगो को ज्ञान देने कार्य किया। अपने इन्हीं विचारों से उन्होंने पूरे विश्व को प्रभावित किया तथा भारत और हिंदुत्व का नाम रोशन करने का कार्य किया।
FAQ
1. विवेकानंद जयंती 2023 कब है?
Swami Vivekananda Jayanti 2023: हर साल 12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद जयंती मनाई जाती है. इस दिन को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है. विवेकानंद बहुत कम उम्र में ही संन्यासी बन गए थे. पश्चिमी देशों को योग-वेदांत की शिक्षा से अवगत कराने का श्रेय स्वामी जी को ही जाता है.
2. स्वामी विवेकानंद की कौन सी जयंती मनाई जा रही है?
स्वामी विवेकानंद की जयंती पर युवा दिवस क्यों मनाया जाता है
स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekanand) का जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में हुआ था.
3. स्वामी विवेकानंद की जयंती क्यों मनाई जाती है?
स्वामी विवेकानंद के जीवन और कार्य ने कई वर्षों से लाखों लोगों को प्रेरित किया है. 1985 में, भारत सरकार ने एक नोट बनाया इस उद्देश्य के साथ कि विवेकानंद की विचारधारा विशेष रूप से युवाओं को प्रेरित कर सकती है और उनके जीवन को आकार देने में मदद कर सकती है. तभी से उनकी जयंती को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है.
4. विवेकानंद जयंती कितने हैं?
हर 12 जनवरी को पश्चिम बंगाल में स्वामी विवेकानंद जयंती इस व्यक्ति के जीवन का जश्न मनाने के लिए मनाई जाती है, जिसका 1890 के दशक में सबसे बड़ा प्रभाव था। यह तारीख देश भर में राष्ट्रीय युवा दिवस को भी चिन्हित करती है।
5. 12 जनवरी को किसका जन्मदिन है?
इसके महत्त्व का विचार करते हुए भारत सरकार ने घोषणा की कि सन 1984 से 12 जनवरी यानी स्वामी विवेकानन्द जयंती (जयन्ती) का दिन राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में देशभर में सर्वत्र मनाया जाए।
6. युवा उत्सव क्यों मनाया जाता है?
1984 के फैसले से प्रभावित होकर भारत सरकार ने सन् 1984 में ही 12 जनवरी, यानि स्वामी विवेकानंद जी की जयंती को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की। तभी से हर साल राष्ट्रीय युवा दिवस को 12 जनवरी के दिन मनाया जाता है।
7. राष्ट्रीय युवा दिवस 2022 की थीम क्या है?
इंटरनेशनल यूथ डे 2022 की थीम
इस साल की थीम – ‘अंतर पीढ़ीगत एकजुटता: सभी उम्र के लिए एक दुनिया बनाना’ (Intergenerational Solidarity: creating a world for all ages) है.
8. 12 जनवरी को क्या खास है?
आज, भारतीय, भारत के महानतम आध्यात्मिक और सामाजिक नेताओं में से एक, स्वामी विवेकानंद के जन्मदिन का सम्मान करते हैं।
9. युवा दिवस की शुरुआत कैसे हुई?
हम 1976 के युवाओं को याद करते हैं और उस दिन क्या हुआ था। युवा दिवस, जैसा कि यह लोकप्रिय रूप से जाना जाता है, एक ऐसा दिन है जिसमें दक्षिण अफ्रीका के लोग उन युवाओं का सम्मान करते हैं जो 16 जून 1976 को सोवेतो में रंगभेद शासन पुलिस द्वारा घात लगाकर हमला किया गया था । उस दिन, स्कूली छात्रों सहित 500 से अधिक युवा मारे गए थे।
10. राष्ट्रीय युवा दिवस 2022 का नारा क्या है?
2022 में हम स्वामी विवेकानंद की 159वीं जयंती (12 जनवरी 1863) मना रहे हैं। राष्ट्रीय युवा दिवस 2022 का विषय 2022 का विषय है ” यह सब दिमाग में है ।”
11. 12 तारीख को राष्ट्रीय युवा दिवस क्यों कहा जाता है?
राष्ट्रीय युवा दिवस भारतीय विचारक, दार्शनिक और सामाजिक नेता, स्वामी विवेकानंद की जयंती मनाने के लिए नामित एक विशेष दिन है। भारत सरकार ने इस महान व्यक्ति और उनकी उपलब्धियों का जश्न मनाने के लिए 12 जनवरी को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में चिह्नित किया।
12. क्या विवेकानंद भगवान को मानते थे?
नहीं। वे उन्हें अत्यात्मविश्वासी मानते हैं जिन्हें कदाचित ज्ञात हो कि ईश्वर का अस्तित्व नहीं है।
13. विवेकानंद कितने घंटे ध्यान करते थे?
मृत्यु वाले दिन भी विवेकानंद प्रतिदिन की तरह प्रात:काल में उठे थे. उठने के बाद उन्होंने दिन की शुरुआत तीन घंटे तक ध्यान करने से की थी.
14. विवेकानंद जी का नारा क्या था?
उठो, जागो और लक्ष्य की प्राप्ति होने तक रुको मत नारा स्वामी विवेकानंद द्वारा दिया गया था। उठो, जागो और लक्ष्य की प्राप्ति होने तक रुको मत, 19वीं सदी के अंत में भारतीय हिंदू भिक्षु स्वामी विवेकानंद द्वारा लोकप्रिय नारा है।
15. स्वामी विवेकानंद कितने घंटे ध्यान करते थे?
मृत्यु वाले दिन भी विवेकानंद प्रतिदिन की तरह प्रात:काल में उठे थे. उठने के बाद उन्होंने दिन की शुरुआत तीन घंटे तक ध्यान करने से की थी.
16. स्वामी विवेकानंद का अनमोल वचन क्या है?
Quote 1: उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य की प्राप्ति ना हो जाये। …
Quote 2: खुद को कमजोर समझना सबसे बड़ा पाप हैं। …
Quote 3: तुम्हें कोई पढ़ा नहीं सकता, कोई आध्यात्मिक नहीं बना सकता। …
Quote 4: सत्य को हज़ार तरीकों से बताया जा सकता है, फिर भी हर एक सत्य ही होगा।
17. विवेकानंद ने भारत के बारे में क्या कहा?
स्वामी विवेकानंद ने स्पष्ट रूप से हमारे पतन के कारणों की पहचान की, जिनमें से एक जनता की उपेक्षा थी जिसे उन्होंने महान राष्ट्रीय पाप करार दिया। उन्होंने कहा, ” भारत में गरीब, नीच, पापी का कोई दोस्त नहीं है, कोई मदद नहीं है – वे उठ नहीं सकते, चाहे वे कितनी भी कोशिश कर लें।
18. विवेकानंद की खुशी क्या है?
“सच्ची सफलता का, सच्ची खुशी का महान रहस्य यह है: वह पुरुष या महिला जो बदले में कुछ नहीं मांगती, पूरी तरह से निःस्वार्थ व्यक्ति, सबसे सफल है ।” – स्वामी विवेकानंद।
19. विवेकानंद ने युवाओं को कैसे प्रेरित किया?
विवेकानंद ने अपने विचारों को सीधे लोगों, खासकर युवाओं तक पहुंचाया। उनका संदेश जाति और पंथ की बेड़ियों को तोड़ता है और सार्वभौमिक भाईचारे की भाषा की बात करता है । उन्होंने जो कहा वह आज हमारे देश में युवाओं के बीच उनके विचारों और आदर्शों के महान महत्व को दर्शाता है।
20. विवेकानंद की रामकृष्ण से मुलाकात कब हुई?
रामकृष्ण और विवेकानंद के बीच संबंध नवंबर 1881 में शुरू हुए, जब वे सुरेंद्र नाथ मित्रा के घर मिले। रामकृष्ण ने नरेंद्रनाथ (विवेकानंद का पूर्व-मठवासी नाम) को गाने के लिए कहा। उनकी गायन प्रतिभा से प्रभावित होकर उन्होंने उन्हें दक्षिणेश्वर आमंत्रित किया।
21. स्वामी विवेकानंद का सूत्र वाक्य क्या था?
विवेकानंद का कहना था कि जिस व्यक्ति में आत्म विश्वास नहीं होता वो बलवान होकर भी कमजोर ही बना रहता है। जबकि आत्म विश्वास से भरा हुआ व्यक्ति कमजोर होकर भी बलवान ही रहता है। स्वामी विवेकानंद के अनुसार दुनिया में व्यक्ति का सबसे बड़ा शिक्षक उसका अनुभव ही होता है, जिसके बल पर वो दुनिया को जीत सकता है।
22. स्वामी विवेकानंद का सबसे प्रसिद्ध उद्धरण कौन सा है?
“एक विचार लो। उस एक विचार को अपना जीवन बना लो; इसका सपना; ज़रा सोचो; उस विचार पर जीते हैं। मस्तिष्क, शरीर, मांसपेशियों, नसों, आपके शरीर के हर हिस्से को उस विचार से भर दें, और हर दूसरे विचार को अकेला छोड़ दें। यही सफलता का मार्ग है, और यही वह मार्ग है जिससे महान आध्यात्मिक दिग्गज उत्पन्न होते हैं।”
23. स्वामी विवेकानंद पढ़ने में कैसे थे?
स्वामी विवेकानंद अपनी विलक्षण बुद्धि एवं स्मरण शक्ति के लिए विख्यात थे.
वे सैकड़ों पन्नों की किताबें कुछ ही घंटो में पढ़ लिया करते थे. …
ध्यान और ब्रह्मचर्य
स्वामी विवेकानंद ने अपने विलक्षण मस्तिष्क का राज बताया है.
उनके अनुसार कोई भी व्यक्ति इसका पालन करेगा तो वह अपनी सीखने की क्षमता को बढ़ा सकता है.
24. विवेकानंद से हमें क्या सीखना चाहिए?
अब जानिए स्वामी विवेकानंद के ऐसे अनमोल विचार, जो आपके जीवन की दिशा को बदल सकते हैं…
पढ़ने के लिए जरूरी है एकाग्रता, एकाग्रता के लिए जरूरी है ध्यान. …
ज्ञान स्वयं में वर्तमान है, मनुष्य केवल उसका आविष्कार करता है.
उठो और जागो और तब तक रुको नहीं जब तक कि तमु अपना लक्ष्य प्राप्त नहीं कर लेते.
25. विवेकानंद ने शिक्षा को कैसे परिभाषित किया?
“शिक्षा क्या है ? ….. सच्ची शिक्षा उसे कहा जा सकता है, जिससे शब्द संचय नहीं, क्षमता का विकास होता है। या फिर व्यक्तियों को ऐसे प्रशिक्षित किए जाने को शिक्षा कहते है जिससे कि वे सही दिशा में, दक्षता पूर्वक, अपनी संकल्प-शक्ति का नियमन कर सकें।
26. शिक्षा का उद्देश्य क्या है?
शिक्षा मनुष्य के भीतर अच्छे विचारों का निर्माण करती है, मनुष्य के जीवन का मार्ग प्रशस्त करती है। बेहतर समाज के निर्माण में सुशिक्षित नागरिक की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। इंसानों में सोचने की शक्ति होती है इसलिए वो सभी प्राणियों में श्रेष्ठ है लेकिन अशिक्षित मनुष्य की सोच पशु के समान होती है।
27. स्वामी विवेकानंद का सबसे बड़ा मंत्र क्या था?
उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक मंजिल प्राप्त न हो जाए’ ये मंत्र स्वामी विवेकानंद ने ही भरतीय युवाओं को दिया था। यह मंत्र आज भी भारतीय युवाओं को झकझोरता है।
28. स्वामी विवेकानंद का दिमाग तेज कैसे था?
जो लोग तेज याददाश्त चाहते हैं, उन्हें रोज ध्यान करना चाहिए और एकाग्र होकर पढ़ना चाहिए बात उन दिनों की है जब स्वामी विवेकानंद देश भ्रमण में थे। साथ में उनके एक गुरु भाई भी थे। स्वाध्याय, सत्संग और कठोर तप का अविराम सिलसिला चल रहा था।
29. विवेकानंद के प्रमुख शैक्षिक विचार क्या है?
विवेकानंद के अनुसार शिक्षा के उद्देश्य
स्वामी जी के अनुसार शिक्षा का प्रथम उद्देश्य अंतर्निहित पूर्णता को प्राप्त करना है। उनके अनुसार लौकिक तथा आध्यात्मिक सभी ज्ञान मनुष्य के मन में पहले से ही विद्यमान होता है। विवेकानंद जी के अनुसार शिक्षा का दूसरा उद्देश्य बाला का शारीरिक एवं मानसिक विकास करना है।
30. ध्यान में क्या दिखाई देता है?
पहले भौहों के बीच आज्ञा चक्र में ध्यान लगने पर अंधेरा दिखाई देने लगता है। अंधेरे में कहीं नीला और फिर कहीं पीला रंग दिखाई देने लगता है। यह गोलाकार में दिखाई देने वाले रंग हमारे द्वारा देखे गए दृष्य जगत का रिफ्लेक्शन भी हो सकते हैं और हमारे शरीर और मन की हलचल से निर्मित ऊर्जा भी।
31. विवेकानंद कन्याकुमारी क्यों गए थे?
ऐसा कहा जाता है कि परिव्राजक के रूप में देश भर में अपनी यात्रा के दौरान स्वामी विवेकानंद दिसंबर 1892 में देवी कन्याकुमारी (भगवती अम्मन) की पूजा करने के लिए कन्याकुमारी आए थे।
32. विवेकानंद का पूर्व नाम क्या था?
विवेकानंद से पहले उन्हें सच्चिदानंद और विविदिषानंद के नाम से जाना जाता था। अमेरिका के शिकागो शहर में विश्व धर्म सम्मेलन में शामिल होने से पहले स्वामी जी राजा अजित सिंह के बुलावे पर 21 अप्रैल, 1893 खेतड़ी पहुंचे थे।
33. विवेकानंद जी ने मस्तिष्क को क्या कहा है?
स्वामी विवेकानंद ने कहा था: “मेरे लिए तो शिक्षा का सार तथ्यों का संग्रहण नहीं बल्कि मस्तिष्क की एकाग्रता है। अगर मुझे मेरी शिक्षा की फिर से शुरुआत करनी पड़े और इस मसले पर अगर मेरी राय ली गई तो मैं तथ्यों-ब्योरों का अध्ययन एकदम नहीं करूंगा।
34. विवेकानंद के अनुसार अनुशासन क्या है?
स्वामी विवेकानन्द के अनुसार- अनुशासन का अर्थ है अपने व्यवहार को आत्मा द्वारा निर्देशित करना। अनुशासन के सम्बन्ध में उनके विचार प्रकृतिवाद से मिलते-जुलते हैं। उनका कहना था कि बालक को स्वानुशासन सीखना चाहिये।
35. स्वामी विवेकानंद ने मन को कैसे नियंत्रित किया?
उन्होंने इस विचार को प्रसारित किया कि ‘आत्म जागरूकता’ एक मन को नियंत्रित करने का सबसे अच्छा तरीका है। इच्छा शक्ति और दृढ़ संकल्प भी मन को भटकने से रोक सकता है। हालाँकि, उनके उपदेश चेतावनी से परिपूर्ण हैं, क्योंकि उनके अनुसार, मन को नियंत्रण में रखने के लिए एक ही विचार की बार-बार साधना करें।
36. विवेकानंद ने श्री रामकृष्ण से उनकी पहली मुलाकात में क्या पूछा था?
कोलकाता के दक्षिणेश्वर में रामकृष्ण से पहली ही मुलाकात में विवेकानंद ने पूछा- ‘महाराज, क्या आपने ईश्वर को देखा है?’ परमहंस ने कहा, ‘हां, मैंने ईश्वर का दर्शन किया है, तुम लोगों को जैसे देख रहा हूं, ठीक वैसे ही बल्कि और भी स्पष्ट रूप से।
37. स्वामी विवेकानंद का अनमोल वचन क्या है?
Quote 1: उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य की प्राप्ति ना हो जाये। …
Quote 2: खुद को कमजोर समझना सबसे बड़ा पाप हैं। …
Quote 3: तुम्हें कोई पढ़ा नहीं सकता, कोई आध्यात्मिक नहीं बना सकता। …
Quote 4: सत्य को हज़ार तरीकों से बताया जा सकता है, फिर भी हर एक सत्य ही होगा।
38. अपने मन को एकाग्र कैसे करें?
एकाग्रता शक्ति में सुधार लाने के लिए ध्यान सिद्ध तकनीक है. काम के दौरान आराम करते समय, अपने मन में किसी अनूठी चीज चाहे वह कोई निशान हो, प्रतीक या मूर्ति हो, पर ध्यान लगाने की कोशिश करें. यह योग का सबसे सरल तकनीक है जिसका अभ्यास आप कभी भी और कहीं भी कर सकते हैं और अपनी एकाग्रता शक्ति में सुधार ला सकते हैं.
39. स्वामी विवेकानंद रात में कितने घंटे सोते थे?
2 घंटे! स्वामी विवेकानंद दिन में केवल 1.5 – 2 घंटे ही सोते थे और हर चार घंटे के बाद 15 मिनट के लिए झपकी लेते थे!
40. स्वामी विवेकानंद जी का सूत्र वाक्य क्या था?
स्वामी विवेकानंद का प्रत्येक भारतीय के लिए संदेश था- ‘जागो, उठो और तब तक प्रयत्न करो जब तक कि लक्ष्य प्राप्त न हो। ‘
41. विवेकानंद से हमें क्या सीखना चाहिए?
अब जानिए स्वामी विवेकानंद के ऐसे अनमोल विचार, जो आपके जीवन की दिशा को बदल सकते हैं…
पढ़ने के लिए जरूरी है एकाग्रता, एकाग्रता के लिए जरूरी है ध्यान. …
ज्ञान स्वयं में वर्तमान है, मनुष्य केवल उसका आविष्कार करता है.
उठो और जागो और तब तक रुको नहीं जब तक कि तमु अपना लक्ष्य प्राप्त नहीं कर लेते.
42. शिक्षा कितने प्रकार के होते हैं?
शिक्षा के प्रकार
औपचारिक शिक्षा
निरौपचारिक शिक्षा
अनौपचारिक शिक्षा (Informal Education)
43. विद्यार्थियों में स्मरण शक्ति कैसे बढ़ाएं?
स्मरण शक्ति बढ़ाने के लिए तनाव कैसे कम करें – Smaran shakti badhane ke liye tanav kaise kam kare
रोजाना मेडिटेशन करें – …
रोजाना योगा करें – …
रोजाना व्यायाम करें – …
पर्याप्त नींद लें – …
चीजों को व्यवस्थित रखें – …
लोगों से मिलजुल कर रहें – …
खुश रहें – …
कुछ समय के लिए कम्प्यूटर और मोबाइल से दूर रहें –
44. स्वामी विवेकानंद के प्रेरणादायक विचार क्या है?
स्वामी विवेकानंद के प्रेरणादायक विचार |Inspirational Quotes Of Swami Vivekananda
जितना बड़ा संघर्ष होगा जीत उतनी ही शानदार होगी.
जैसा तुम सोचते हो, वैसे ही बन जाओगे. …
खुद को कमज़ोर समझना सबसे बड़ा पाप है.
जब तक आप खुद पर विश्वास नहीं करते तब तक आप भगवान पर विश्वास नहीं कर सकते.